जलेबी, वड़ा पाव और समोसे पर चेतावनी! अगला क्या? चाय पर हेल्थ टैक्स?

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

अब वो दिन दूर नहीं जब कैफेटेरिया में समोसे के पीछे लिखा मिलेगा — “खाओ, मगर पछताओ!”
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो नया कदम उठाया है, उससे समोसे, जलेबी और वड़ा पाव की प्रतिष्ठा पर सीधा हमला हो गया है। अब ये व्यंजन सिर्फ लार टपकाने वाले स्वाद नहीं, बल्कि “राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट” की तरह देखे जाएंगे। यानी जलेबी खाओ, तो साथ में पापबोध भी फ्री मिलेगा।

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समोसे में सिर्फ स्वाद नहीं, छुपा है “तंबाकू समान खतरा”

मंत्रालय का कहना है कि ट्रांस फैट और शुगर अब सिगरेट की तरह गंभीर खतरा हैं। अब समोसे के साथ लगेगा एक बोर्ड जो बताता है कि उसमें कितना घी, तेल और वो सब है जो आपकी धमनियों को “सील पैक” कर सकता है। डॉक्टर कह रहे हैं कि अब “सिगरेट पीना और गुलाब जामुन खाना” — दोनों पर सोच-समझकर कदम रखना चाहिए। फर्क बस इतना है कि जलेबी खाने के बाद खांसी नहीं आती — डायबिटीज आती है!

AIIMS नागपुर बना पहला “फूड पुलिस थाना”

AIIMS नागपुर इस ‘स्वास्थ्य महाभियान’ का अगुआ बन गया है। यहां कैफेटेरिया में समोसे, बर्फी और चाय के साथ लगेगा “डर का डोज़” — एक आकर्षक बोर्ड, जिस पर लिखा होगा:

“इस वड़ा पाव में छिपा है वो प्यार, जो सीधा हार्ट तक पहुंचता है — ब्लॉकेज बनकर!”

अब पकौड़े की प्लेट नहीं, उसके पोषण मूल्य पर बहस होगी।

भारत का मोटापा ग्राफ़: हम अमेरिका को टक्कर देने निकले हैं, लेकिन पेट से

2050 तक भारत में 45 करोड़ लोग मोटापे के शिकार हो सकते हैं, और कारण है — ज़रूरत से ज़्यादा प्यार और पराठे। बच्चों को स्कूल में पढ़ाई कम, और मिठाई की यूनिट ज़्यादा मिल रही है। बड़ों के लिए हेल्थ एप खुलने से पहले Zomato खुल जाता है।
इस सब पर सरकार ने कहा:

“अब चेतावनी से चेत जाओ, नहीं तो भविष्य में बीमा प्रीमियम और पेट — दोनों भारी होंगे।”

“कोई रोक-टोक नहीं, बस बोर्ड पढ़ लो भाई!”

डॉक्टरों का कहना है कि ये कोई बैन नहीं है। मतलब समोसा खाओ, लेकिन पहले उसके फैट स्कोर का TRP देख लो।
एक गुलाब जामुन में 5 चम्मच चीनी सुनकर कई मीठा-प्रेमी डिप्रेशन में जा सकते हैं, और कई कह सकते हैं:

“तो क्या अब हम रसगुल्ला खाने के लिए डॉक्टर की अनुमति लेंगे?”

अगला कदम क्या होगा? “पकौड़े वालों को लाइसेंस और बर्फी पर QR कोड?”

जिस रफ्तार से ये बोर्ड लग रहे हैं, अगला कदम शायद यह होगा कि “मीठे के साथ हेल्थ डिक्लेरेशन साइन करवाना पड़े!”
और कैफे में वेटर कहेगा:

“सर, समोसे के साथ हमारा चेतावनी बोर्ड देखना चाहेंगे या साइड में चटनी?”

अब स्वाद के साथ विवेक भी चाहिए

स्वास्थ्य मंत्रालय की यह पहल भूख मारने वाली नहीं, सोच जगाने वाली है। अब समोसा सिर्फ तिकोना नाश्ता नहीं, एक “हेल्थ डिबेट” है।
और अगली बार जब कोई बोले – “भाई एक समोसा और!”,
तो जवाब दो –
“भाई, पहले बोर्ड पढ़!”

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